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    पिता की बायोपिक पर कुश सिन्हा बोले,:ऐसा कोई कलाकार नहीं जो शत्रुघ्न सिन्हा का किरदार निभा सके, अभी भी ‘निकिता रॉय’ से जुड़ा हूं

    2 months ago

    शुत्रुघ्न सिन्हा के बेटे कुश सिन्हा ने सुपरनैचुरल थ्रिलर मिस्ट्री फिल्म ‘निकिता रॉय’ से अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू किया है। ‘तन्वी द ग्रेट’ और ‘सैयारा’ के साथ यह फिल्म रिलीज हुई, यह फिल्म थिएटर में दूसरे सप्ताह चल रही है। हाल ही में कुश सिन्हा ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि कुछ आइडियाज दिमाग में हैं, लेकिन अभी लिखना शुरू नहीं किया है। इसके साथ ही कुश ने अपने पिता शत्रुघ्न सिन्हा की बायोपिक बनाने की इच्छा जाहिर की, लेकिन उनके जेहन में अभी ऐसा कोई कलाकार नहीं, जो उनके पिता का किरदार निभा सके। बातचीत के दौरान कुश सिन्हा ने ‘निकिता रॉय’ से जुड़ी कुछ और बातें शेयर कीं। पेश है कुछ खास अंश.. सवाल- ऐसा कोई कमेंट या फीडबैक जिसने दिल को छू लिया हो? जवाब- बहुत लोगों ने मुझसे कहा कि फिल्म बहुत रोमांचक है। दो घंटे कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। मैंने भी थिएटर में पब्लिक के साथ फिल्म देखी, उस समय किसी का भी ध्यान मोबाइल फोन पर नहीं था। लोगों को कहानी अच्छी लगी, इससे मैं बहुत खुश हूं। हमारी भी कोशिश यही थी कि कहानी लोगों को इमोशनल तरीके से टच कर पाए। सवाल- हॉरर साइकोलॉजिकल थ्रिलर को आपने एक नया आयाम दिया है। इसमें डर पैदा करने के लिए हॉरर ट्रिक्स और जोरदार बैकग्राउंड म्यूजिक सहारा नहीं लिया? जवाब- जब सीन में कोई कमजोरी होती है तब इस तरह के ट्रिक्स अपनाने पड़ते हैं। हमारी फिल्म के सभी कलाकारों ने बहुत अच्छा काम किया है। उनकी परफॉर्मेंस ऐसी थी कि कहीं मुझे डर पैदा करने के लिए पारंपरिक हॉरर ट्रिक्स का सहारा नहीं लेना पड़ा। असली डर को माहौल, कैमरा मूवमेंट और स्क्रिप्ट के जरिए महसूस कराया है। यह मेरे लिए भी एक नया अनुभव था। सवाल- क्रिटिक्स और दर्शकों को फिल्म पसंद आने के बावजूद, बॉक्स ऑफिस कलेक्शन हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं होता। इसकी क्या वजह मानते हैं? जवाब- बॉक्स ऑफिस कलेक्शन हमारे हाथों में नहीं होता है। पहले हमने कोशिश की थी कि रिलीज के समय स्क्रीन ज्यादा मिले, लेकिन जब साथ में कुछ और फिल्में रिलीज होती है तब थोड़ा मुश्किल हो जाता है। हमारी फिल्म के साथ ‘तन्वी द ग्रेट’ और ‘सैयारा’ रिलीज हुई। दूसरे हफ्ते में हमारी फिल्म के स्क्रीन बढ़े हैं। मैं यशराज की फिल्म ‘सैयारा’ के लिए बहुत खुश हूं कि यह फिल्म काफी पसंद की जा रही है। सवाल- आप इंडस्ट्री से जुड़े हैं फिर भी आपको फिल्म के डिस्ट्रीब्यूशन और स्क्रीन मिलने में समस्या आई। ऐसे में जो लोग बाहर से आ रहे हैं उनका क्या होगा? जवाब- मैं इस बात को नहीं मानता। यह एक बिजनेस है। हम किसी को यह नहीं बता सकते हैं कि अपना बिजनेस कैसे चलाना है। लोग अपने अपने नंबर्स, प्रॉफिट और लॉस देखते हैं। मैं सिर्फ यह कहना चाहूंगा कि हमें थोड़ी और बेहतर प्लानिंग करनी चाहिए थी। सवाल- फिल्म के रिलीज के बाद सोनाक्षी और परेश रावल का किस तरह का फीडबैक आया? जवाब- एक दिन परेश जी ने पूछा कि रिव्यूज कैसे आ रहे हैं। मैंने कहा कि अच्छे आ रहे हैं, आपकी बहुत तारीफ हो रही है। वो बोले कि मुझे पता है, लेकिन सोचा कि तुमसे पूछ लूं। इस तरह से परेश जी मुझे बहुत प्रोत्साहित करते हैं। सोनाक्षी तो छुट्टी पर थी, मैंने उसको डिस्टर्ब नहीं किया। मैंने बहुत सारे रिव्यूज में पढ़ा कि सोनाक्षी का अब तक का सबसे बढ़िया परफॉर्मेंस है। उसने अपने किरदार को फिल्म में बहुत ही इमोशनली तरीके से निभाया, यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। सवाल- सेट पर सोनाक्षी के साथ किस तरह से पेश आए? जवाब- अगर मैं भाई की तरह पेश आता तो शायद सेट पर माहौल बिगड़ जाता। लोगों को लगता कि यहां ठीक से काम नहीं हो रहा है। सिर्फ टाइम पास चल रहा है। घर में भले ही वो मेरी बहन है, लेकिन सेट पर मेरे लिए सोनाक्षी सिर्फ एक एक्ट्रेस थी। सवाल- सोनाक्षी ने कहा था कि इससे पहले भी आप उनको कई स्क्रिप्ट सुना चुके थे, लेकिन ‘निकिता रॉय’ उनको सबसे बढ़िया स्क्रिप्ट लगी? जवाब- एक्टर जब तक स्क्रिप्ट से नहीं जुड़ता, तब तक स्क्रीन पर उसकी परफॉर्मेंस नहीं नजर आती। मुझे बाद में इस बात का एहसास हुआ कि सभी एक्टर्स को लग रहा था कि उनके किरदार में दम है। सवाल- फिल्म की रिलीज के समय क्या-क्या चुनौतियां नजर आईं? सवाल- साथ में बड़ी-बड़ी फिल्में रिलीज हो रही थीं। हमें फिल्म के लिए सही रणनीति बनानी थी कि कैसे रिलीज करें? मैं तो फिल्म का डायरेक्टर हूं, इसमें सबसे बड़ी भूमिका प्रोड्यूसर की थी कि उनको किसके साथ जुड़कर फिल्म रिलीज करनी है। सवाल- आपने कहा था कि नाम सिर्फ ओपनिंग दिला सकता है, लेकिन पहचान काम से बनेगा। अब दर्शकों को अलग क्या दिखने वाला है? सवाल- कोशिश यही रहेगी कि कुछ अलग करूं। जो वास्तविक और यूनिक के साथ एंटरटेनिंग हो। साथ में एक ऐसा मैसेज हो, जो जबरदस्ती थोपा ना लगे। ‘निकिता रॉय’ में हमें जो मैसेज देना था, वह दे दिया। दर्शकों की उसके पीछे जो भी सोच है। मैं उसके साथ हूं। सवाल- फिल्म के जरिए तो आपने काफी कुछ कह दिया है, वैसे समाज को क्या मैसेज देना चाहते हैं? जवाब- सोशल मीडिया पर वक्त बिताने के बजाय वास्तविक दुनिया में रहें। अपने फ्रेंड्स और पेरेंट्स के साथ ज्यादा वक्त बिताएं। मुझे लगता है कि समाज के लिए यह बहुत बेहतर होगा। सवाल- सोशल मीडिया पर सेलेब्स को लेकर बहुत सारी अफवाएं उड़ती रहती हैं, ट्रोल्स और हेट कमेंट्स का सामना करना पड़ता है। आप इसे कैसे हैंडल करते हैं? जवाब- मैं तो सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव नहीं हूं। सोनाक्षी ने एक बार कहा था कि वो सोशल मीडिया के कमेंट्स से इरिटेट हो जाती है। अगर आपको अपना सच पता है तो हैंडल कर सकते हैं। मैं सोशल मीडिया पर ज्यादा ध्यान नहीं देता हूं, लेकिन यह सच्चाई है कि बहुत लोगों के लिए यह मुश्किल बनता जा रहा है। सवाल- बहुत सारे मीडिया हाउस सोशल मीडिया को इतना तवज्जो देते हैं कि बिना सच्चाई की परख के खबरें बना देते हैं। सोनाक्षी की शादी के समय भी ऐसा बहुत हुआ था। उससे कितना असर पड़ा और बाहर कैसे निकले थे? जवाब- मुझे इन सब बातों से कुछ भी असर नहीं पड़ता है। जब मुझे अपनी सच्चाई पता है, तब अगर कोई कुछ बोलता है तो उससे क्या फर्क पड़ेगा। अगर मेरा कोई करीबी दोस्त और परिवार वाले कहें कि मेरी कोई बात उन्हें अच्छी नहीं लगी तो उनकी बात सुनूंगा और सोचूंगा। इंटरनेट की बात को गंभीरता से नहीं लेता हूं। सवाल- फिल्म की रिलीज के बाद शत्रु सर की क्या प्रतिक्रिया थी? जवाब- पापा ने कहा कि अच्छी फिल्म बनाई है। हौसला मत हारना। अक्सर ऐसा होता है कि फिल्म उम्मीद के मुताबिक नहीं होती है। लोग इसलिए तारीफ कर रहे हैं क्योंकि फिल्म अच्छी बनी है। सवाल- शत्रु सर की बायोपिक करना चाहेंगे? जवाब- जरूर करना चाहूंगा, लेकिन सवाल यह है कि कास्टिंग में बहुत दिक्कत होगी। ऐसा कोई कलाकार नहीं नजर आ रहा है जो पापा का किरदार निभा सके। सवाल- उनकी कौन सी बातें आपको ज्यादा प्रभावित करती हैं? जवाब- उनका आत्मविश्वास मुझे काफी प्रभावित करता है। उन्होंने जिंदगी में कभी हार नहीं मानीं। वो अपने आप में बहुत विश्वास करते हैं। यह अहंकार की बात नहीं, बल्कि उनकी खासियत है। सवाल- मम्मी की फिल्म देखने के बाद क्या प्रतिक्रिया थी? जवाब- मम्मी और उनके दोस्तों को भी फिल्म बहुत अच्छी लगी। मुझे लगता था कि सीनियर्स को फिल्म उतनी पसंद नहीं आएगी, लेकिन फिल्म के प्रति उनका एक अलग नजरिया था। सबसे ज्यादा लोगों की यहीं प्रतिक्रिया आई कि बहुत ही रोमांचक और वास्तविक फिल्म है। सवाल- आपको ऐसा नहीं लगता कि फिल्म की थीम के हिसाब से इसकी पब्लिसिटी का अलग से प्लान करना चाहिए था? जवाब- करना चाहिए था। फिल्म थोड़ा लेट हो गई। दोबारा रिलीज डेट आई। मुझे ऐसा लगता है कि बाकी फिल्मों की अपेक्षा हमारी फिल्म की पब्लिसिटी नहीं हो पाई। इसमें कभी अपने प्रोड्यूसर को गलत नहीं मानूंगा। उन्होंने बहुत मेहनत की है। फिल्म को थिएटर तक लाना आज की तारीख में बहुत बड़ी बात है। ऐसी फिल्म जो रोमांटिक एक्शन ना हो। सवाल- डायरेक्शन में आने के बाद किसी डायरेक्टर ने कोई टिप्स दिया? जवाब- सुभाष घई जी को फिल्म बहुत अच्छी लगी। मेरी मम्मी बहुत सालों से उन्हें राखी बांधती हैं। उन्होंने कहा कि यह फिल्म अल पचीनो के जोन में जा रही है। उनकी यह बात मेरे लिए बहुत मायने रखती है। रमेश सिप्पी सर ने फिल्म देखने के बाद पापा को फोन किया और बोले कि फिल्म बहुत रोमांचक लगी। सवाल- क्या अगले प्रोजेक्ट पर लिखना शुरू कर दिए हैं? जवाब- कुछ आइडियाज दिमाग में हैं, लेकिन अभी लिखना शुरू नहीं किया है। अभी भी ‘निकिता रॉय’ से ही जुड़ा हूं। सवाल- ओटीटी के लिए कुछ करना चाहेंगे? जवाब- जरूर करना चाहूंगा। अगर कहानी में दम है तो ओटीटी पर बॉक्स ऑफिस का खेल नहीं खेलना पड़ता है। वैसे भी बॉक्स ऑफिस हमारे कंट्रोल में नहीं रहता है। अगर कोई कहता है कि उनकी हर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर चल रही है तो वह झूठ बोलता है।
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