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    Diwali home cleaning hacks: धूल से एलर्जी है तो दिवाली की सफाई में न करना यह गलती, हो जाएगी मुसीबत

    1 week ago

    Dust Allergy Prevention: दिवाली सिर्फ एक त्योहार ही नहीं है, बल्कि यह खुशियों का पर्व है, जिसकी तैयारी हम साल भर से करते हैं. इससे पहले हम घर की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई करते हैं ताकि यह एकदम से चकाचक और क्लीन दिखे. हालांकि, कुछ लोगों को साफ-सफाई के दौरान ध्यान रखने की जरूरत होती है, खासकर जिन लोगों को पहले से ही धूल से एलर्जी है. उनके लिए यह किसी खतरे से कम नहीं है, क्योंकि इसमें मौजूद डस्ट माइट्स, पोलेन, पालतू जानवरों के बाल और फफूंदी हमारी सांस की नली को प्रभावित कर सकते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि अगर एलर्जी वाले लोग सावधानी नहीं रखते हैं, तो उनको कौन-कौन सी दिक्कत हो सकती है.

    कौन-कौन सी हो सकती हैं दिक्कतें?

    धूल के कणों में मौजूद डस्ट माइट्स नामक बहुत छोटे-छोटे कीड़े प्रमुख कारण होते हैं. ये गर्म और नमी वाले वातावरण में पनपते हैं और इनके मल से एलर्जी की समस्या बढ़ जाती है. आपको बता दें कि WHO और AIIMS की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 20 से 25 प्रतिशत लोग धूल और डस्ट माइट्स की एलर्जी से प्रभावित हैं.

    क्या होते हैं लक्षण?

    अगर लक्षणों की बात करें, तो इसमें लगातार छींक आती रहती है. जब आप साफ-सफाई करते हैं, तो नाक बहना या बंद होना शुरू हो जाता है. एलर्जी की वजह से आंखें लाल हो जाती हैं और इनमें से पानी आने लगता है. गले में खराश या खिचखिच हो सकती है. इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ या अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं. अगर दिवाली की सफाई के दौरान आपको बार-बार सांस लेने में तकलीफ, तेज खांसी, सीने में जकड़न या आंखों में जलन हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. अगर आप इसको इग्नोर करते हैं, तो इससे अस्थमा या ब्रॉन्काइटिस जैसी गंभीर समस्या हो सकती है.

    दिवाली की सफाई के दौरान गलती

    दिवाली खुशियों का त्योहार है. लेकिन हमारी एक गलती हमारी खुशियों पर पानी फेर सकती है. इसलिए दिवाली की साफ-सफाई के दौरान हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. जैसे कि ज्यादातर लोग झाड़ू-पोंछा करते समय मास्क नहीं लगाते. इससे धूल सीधे सांस के जरिए शरीर में जाती है और एलर्जी का अटैक हो सकता है. स्टोर रूम या अलमारी से पुरानी किताबें, कपड़े या बिस्तर निकालते समय धूल का गुबार फैलता है. यह धूल एलर्जी के मरीजों के लिए सबसे बड़ा ट्रिगर है. कई लोग तेज गंध वाले केमिकल-आधारित क्लीनर इस्तेमाल करते हैं. इनमें मौजूद केमिकल्स सांस लेने की दिक्कत को बढ़ा देते हैं.

    ये भी पढ़ें: नॉर्मल इंसान को कितना दिया जाता है एनेस्थेसिया, कितनी ज्यादा डोज पर हो जाती है मौत?

    Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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